Indian and Pakistani Ghazals and Qawallis
Urdu: غزل; Hindi: ग़ज़ल; Punjabi: ਗ਼ਜ਼ਲ
तेरे इश्क़ की इन्तेहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख, क्या चाहता हूँ
सितम हो कि हो वादा-ए-बे-हिजाबी
कोई बात सब्र-आजमा चाहता हूँ
यह जन्नत मुबारक रहे जाहिदों को
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ
सारा सा तो दिल हूँ मगर शोख इतना
वही लनतरानी सुना चाहता हूँ
कोई दम का मेहमान हूँ, ए अहल-ए-महफिल
चिराग-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
इकबाल Iqbal
वो फ़िराक और वो विसाल कहाँ
वो शब्-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ
फुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक़ किसे
ज़ौक-ए-नज़ारा-ए-जमाल कहाँ
थी वो एक शख्स के तसव्वुर से
अब वो रानाई-ए-ख़याल कहाँ
ऐसा आसान नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ
फिक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और यह वबाल कहाँ
गालिब
(Ghalib)